माई री ,माई री( भाग १)
माई री ,माई री,
क्यों छोड़ दिया मेरा हाथ,
क्यों छोड़ दिया मेरा साथ।
क्यों मुझको तुमने इतना सजाकर,
भेज दिया किसी और के साथ।
कब से तुम इतनी पत्थर कि
हो गई, माई री।
क्या कोई मुझसे खता हो गई,
जो तुम मुझसे रूठ गई माई री।
क्यों अपने इस हिस्से को तूने,
अपने अंग से अलग कर दिया।
क्यों तुमने मुझको इस बेदर्द
दूनियाँ के हवाले कर दिया।
क्यों अपना दामन मुझसे
तूने छुड़ा लिया, माई री।
क्यों अपना आँचल तुमने
मेरे सर से हटा लिया।
क्यों तपती गर्मी में मुझको
जलने को छोड़ दिया।
आज भी तेरी याद मुझे
पल-पल आती है।
तुम्हें आती हैं या नहीं
तू क्यों नहीं बताती है।
माई री, माई री
तू क्यों कुछ बोल
नहीं पाती है।
तुम क्यों अपने आँसू को
मुझसे छुपाती है।
क्यों तुम अपने मुँह पर
मौन साध रखी है।
मेरे इन सवालों का उत्तर
कौन देगा माई री।
मैं भी तो तेरी ही खून थी ,
थी तेरा ही साया।
फिर तुमने जन्म से ही मुझको,
क्यों मान लिया पराया।
तुमने ऐसा क्यों किया माई री।
~ अनामिका