* माई गंगा *
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हरि द्वार में गंगा तट पर
जय जय गंगा माई हो रही
शिव शंकर की जटा सूं निकसी
वैतरणी भव ते पार कर रही
पाप नाशिनी हिय संताप नाशिनी
गंगा सबके पाप धो रही
हरि द्वार में गंगा तट पर
जय जय गंगा माई हो रही
जो जो डुबकी इसमें लगाते
सो हो पार भव से हो जाते
मोक्ष दायिनी हिय सुहावनी
गंगा सबके पाप धो रही
हरि द्वार में गंगा तट पर
जय जय गंगा माई हो रही
बुरा न देखे खरा न देखे
सत्य असत्य को ना ये जाने
एक समान है दृष्टि जाकि
सम दृष्टा सम दया दिखावे
गंगा सबके पाप धो रही
हरि द्वार में गंगा तट पर
जय जय गंगा माई हो रही
मम अबोध ने दर्शन कर के
जय हो जय हो टेर लगाई
माँ गंगा ने आगे बढ़ कर
दिया प्रसाद न ली उतराई
गंगा सबके पाप धो रही
हरि द्वार में गंगा तट पर
जय जय गंगा माई हो रही