“मां”
हमारा बचपन हो या जवानी ,चाहे किसी भी मोड़ पर रुकी हो हमारी जिंदगानी,
उसे हर वक्त हमारी परवाह होती है ।
क्योंकि मां तो बस मां होती है।
बचपन में कुछ भी काम ,कर पाने की शक्ति नहीं होती है।
तभी तो हर वक्त, हर लम्हा और हर मोड़ पर मां खड़ी होती है।
क्योंकि मां तो बस मां होती है::::::::::::।
मां के बच्चे बड़े हो रहे हैं ,मां के अरमां भी खड़े हो रहे हैं
पर वो भोली मां नहीं जानती बच्चे डिजिटल की दुनिया में खो रहे हैं ।
उसके बाद भी वह मोन रहे जाती है। क्योंकि मां तो बस:::::::::::,????
हमारी गलतियों पर जब वह हमें टोकती है ।
तो उसकी हर बात ऐसे लगती है मानो हमें वह कोसती है।
तुम्हें कहां समझ है मां इस दुनिया की, तुम घर से बाहर तो जाती नहीं, इतना सुनकर भी वह अपने बच्चे से होठों पर मुस्कान लाकर बोलती है ।क्योंकि मां तो बस::::::::::????
जब से हमने जन्म लिया ,मां का उस वक्त से, हर पल हमारा है ।
पर हमारे लिए व्हाट्सएप ,फेसबुक ,टि्वटर और इंस्टाग्राम यह सब एक पल भी उनके लिए, छोड़ना न गवारा है ।
फिर भी मां हर सांस में बच्चों की खुशी ढूंढती है।क्योंकि मां तो बस::::::::????
क्यों हम अपने आप वक्त से पहले ही ,
इतने बड़े हो गए ।
मां पीछे रह गई और हम उससे आगे जाकर खड़े हो गए ।
इसके बावजूद भी हर पल उसकी आंखें हमें ढूंढती हैं ।क्योंकि मैं तो बस:::::::::????
इस दुनिया की चमक में हम इतने खो गए,
की मां को भूल गए बाकी सब याद रहे ।
बूढ़ी मां क्यों आज हमें बोझ लगने लगी है ।इसके बाद भी वह हमारे लिए,
भगवान से दुआ करने में लगी है ।क्योंकि मां तो बस मां होती है?????