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28 Nov 2018 · 1 min read

मां

तपती धरती पे ठंडक जैसी होती है मां।
जिसके लबों पे कभी भी होती नही ना।

मां तो होती है जून में ठंडी छाया सी।
निर्धन के सपने में होती है माया सी।

मां की ममता से हर घर में हरियाली है,
पिता लगाए पौधा माँ बाग की माली है।

शाम का सूरज ढ़ले जब निंदिया सताए।
सातों सुर मिल जाएं जब मां लोरी गाए।

मां दिल की दीवारों में तेरी ही सूरत है।
मन मंदिर में केवल मां तेरी ही मूरत है।

मां रोटी को छूले तो प्रसाद बन जाता है।
सारा ही सुख माँ की आगोश में समाता।

मां की हर बात वरदान से बढके लगे।
मां की सूरत”शीला”को भगवान से बढके लगे।

Sheela Gahlawat
Works at Yoga practitioner
Works at Poem Recitation
Studies PG.Diploma in Naturopathy
M. 9888921147

36 Likes · 55 Comments · 1888 Views
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