मां
मां एक शब्द नहीं,
एहसास है
मां वह कल्प वृक्ष है,
जो पूर्ण करती सभी मनोरथ को,
देवताओं कि हमें जरूरत नहीं,
जब तक दुनिया में मां खड़ी
मां वह कवच है,
जो छोड़ती ना कभी साथ है
मां धैर्य की धारा है,
मां ममता की मूरत है,
ईश्वर भी तरसते हैं,
मां के लिए
मां एक शक्ति है,
जिसकी बराबरी ना कर सके कोई
मां मेरे हर ज़ख्म की दवा है,
कभी सोच करके तो देखो
मां ने दिया कितने बलिदान है
नाम-पता राधा कुमारी झा
हावङा, पश्चिम बंगाल