मां
थपकी देकर सुलाती है मां,
बड़े प्यार से बुलाती है मां।
करती है मजदूरी बच्चो के लिए,
खुद भूखी रहकर खिलाती है मां।
लजा न देना मां का दूध तुम कभी,
अमृत समान दूध पिलाती है मां ।
रूठ जाए अगर बच्चे उससे कभी,
बच्चो को खिलौने दिलाती है मां।
झगड़ा हो जाए परिवार मे कभी
सबको एक साथ मिलाती है मां।
जिद करते हैं बच्चे जब कभी वे,
बहाना बनाकर बहलाती है मां।
रस्तोगी क्या और अधिक लिखे,
हाथ पकड़ का चलाती है मां।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम