मां -सही भूख तृष्णा खिलाया सदा
छंद-वाचिक भुजंगी/शक्ति (मापनी युक्त)
१२२ १२२ १२२ १२
मां
सही भूख तृष्णा खिलाया सदा ।
अमिय प्यार से ही पिलाया सदा।। (१)
बिना वस्त्र काटे सकल रैन भी
सुनहला वसन ही सिलाया सदा।(२)
सकल रात जागी लिये गोद में,
उसे अंक में ही हिलाया सदा ।(३)
सहे कष्ट दुनिया जमीं के सभी,
मगर कष्ट से नहिं मिलाया सदा ।(४)
लिया मातु कुछ नहिं सतत ही दिया,
जमाने में सब कुछ दिलाया सदा। (५)