मां : संतान की सारी दुनिया
मां से शुरू और मां पर ही खत्म हर रिश्ते ,
मां में ही समाय दुनिया के हर रिश्ते ।
मां ही संतान के लिए भाई बंधु ,मित्र ,
हितैषी ,पिता भी ,और राजदार भी ।
मगर मां के बिना अधूरे सभी रिश्ते ,
मां की कमी कोई पूरी न कर सके ,
चाहे करले कोई कोशिश कितनी भी ।
दुनिया चाहे अपनी हो न हो ,
मां है तो सारी दुनिया अपनी है ।
और सही मायने में हमारी मां ही ,
हमारी सारी दुनिया है ।