मां मातृभूमि और तिरंगा, मेरा पहला प्यार है
मां मातृभूमि और तिरंगा, मेरा पहला प्यार है
तन मन धन अर्पण है मेरा, सौभाग्य और त्यौहार है
यही धर्म है यही कर्म है, यही मेरा व्यवहार है
मां मातृभूमि और तिरंगा, मेरा पहला प्यार है
मातृभूमि को पूर्वजों ने, अपने खून से सींचा है
हंसते हंसते शीश दिया, तब इनका खाका खींचा है
एक तो मैं क्या जन्म हजारों, कर दूं माटी पर बार है
मां मातृभूमि और तिरंगा, मेरा पहला प्यार है
मां मातृभूमि का ऋणी हूं मैं, बहुत बड़ा उपकार है
आन बान और शान पर इनकी, आंच नहीं आने दूंगा
दुश्मन चाहे कोई भी हो, जिंदा ना जाने दूंगा
भारत माता की आन बचाने, हर बच्चा तैयार है
मां मातृभूमि और तिरंगा, मेरा पहला प्यार है
मेरा पहला प्यार है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी