मां तुम्हारा जाना
मां तुम्हारा जाना….
तुम्हारी याद आती है बहुत फिर याद आती है
समझ कुछ भी नहीं आता बहुत फिर याद आती है
हमारे वास्ते कितना किया तूने मुसीबत में
हमें भर भर रुलाती है बहुत फिर याद आती है
किसी देवी से कम ना थीं तुम्हारी खूबियां इतनी
हमें रह रह सताती है बहुत फिर याद आती है
बड़ाई कर सकूं तेरी शब्द संचय नहीं मेरा
हमें अपना बनाती है बहुत फिर याद आती है
कभी साड़ी पकड़कर खूब रोता हूं तो लगता है
फर्ज सारे निभाती हैं बहुत फिर याद आती है
अनिल कुमार निश्छल
शिवनी हमीरपुर बुंदेलखंड