मां की ममता का मोल नहीं
मां की ममता का मोल नहीं,
मां की ममता का तोल नहीं।
मां प्यार भरा इक सागर है।
मां अमित प्रेम की गागर है।।
मां के आंचल की छाया में,
जिसका भी बचपन बीता है।
हर ज्ञान मिला उसको दुर्लभ,
कंठस्थ उसे बस गीता है।
यह बात सत्य है जीवन में,
इसमें कोई भी झोल नहीं।
मां की ममता का मोल नहीं।
मां काशी अरु वृंदावन है।
तन मन का ये स्पंदन है।।
श्वांस-श्वांस में मां का अर्पण।
बच्चों के हित पूर्ण समर्पण।।
डांट लगाए बच्चों को नित,
लेकिन कटुता के बोल नहीं।
मां की ममता का मोल नहीं।।
नि:स्वार्थ प्रेम का आंचल मां,
बच्चों के दृग का काजल मां।
इस दुनिया में मां से बढ़कर,
कोई भी उत्तम रोल नहीं।
मां की ममता का मोल नहीं।।