” मां की नहीं कोई परिभाषा “
मां शब्द की कोई परिभाषा समझ नहीं आता ,
जो लिखना चाहूं वो लिखा नहीं जाता।
हर बात तु बीन कहे समझ जाती ,
जिंदगी की हर खुशी तेरे गोद में ही मिल जाता ।
तेरी ममता से ही संतुष्टि आता ,
तु ही प्यार की अद्वितीय परिभाषा ।
मां से ही सारी दुनिया जगमगाता ,
इस मां शब्द की गाथा क्षितिज तक जाता ।
मां सिर्फ स्त्री को कहां नहीं जाता ,
पिता , भाई , बहन , दोस्त सभी से है ममता का नाता ।
तेरे तुलना अब तक ना कर पाया विधाता ,
ज्योति भी ना गढ पाएगी तेरी गाथा ।
मां तेरी ममता की कोई नहीं परिभाषा ,
लिखना चाहूं पर कलम रूक जाता ।
( मातृ दिवस के अवसर पर संसार की सभी मां को समर्पित । )
? धन्यवाद?
✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली