मां का होना
भीतर मन में
इस जीवन में
मां का होना
जैसे किसी दरख़्त की
घनी छांव
सुख की नींद
बेफिक्री का अहसास
रिश्तों को जोड़ता
जैसे कोई पुल-पुख्ता ।
उंगलियों का दवा-सा स्पर्श
तन-मन का हर्ष
मां का होना
दुआएं बेशुमार
अटल श्रद्धा , अमल विश्वास ।
——
अचानक ,
मां का न होना
सूना-सूना आकाश
टूटता-सा मोह -पाश
दरख़्त की पत्र-विहीन छाया
डराती-सी नींद
दरकता पुल-पुख्ता
दूर होते किनारे
रिश्तों की आवाजाही पर पड़ता फर्क
श्रद्धा , विश्वास , हर्ष का
टूटता तिलिस्म ।
मां का न होना
जैसे किसी का
ढेर-सी दुआएं देकर
सदा के लिए हो जाना अन्तर्धान ।
अशोक सोनी
भिलाई ।