मां कचरे में न फेंक मुझे
मां कचरे में न फेंक मुझे, पालने तक पहुंचा दे
कूड़ा नहीं हूं मत फेंको मुझको,मत जिंदा दफना दे
नौ माह गर्भ भोगा, नहीं उजाला देखा
पैदा होते ही तुमने,मिटा दी जीवन रेखा
क्या भूल हुई मुझसे, मां मुझको बतला दे
पैदा होते ही तुमने, मुझको कचरे में फेंका
अवोध और नवजात हूं मैं, क्यों न तुमने देखा
क्यों नौ माह, रखा पेट में, मां मुझको समझा दे
मेरे शरीर पर लगीं चींटियां, कुत्ते नोंच रहे थे
मेरे कोमल अंगों को, जबड़ों में भींच रहे थे
कहां गई थी ममता मां, प्रश्न मेरा सुलझा दे
हो सकता है तुमको,वेटा या वेटी की चाहत थी
या अवैध संबंधों की, मैं अनचाही आफत थी
माना दो मुंही समाज से, तुम्हें बहुत घवराहट थी
क्यों पालने तक न पहुंचा पाई, जवाब मुझे बतला दे
क्यों कोख में रखा मुझे, क्यों अंत किया समझा दे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी