मां एक अहसास है
वैसे तो मां पे कुछ भी लिखना असंभव है, पर कुछ कीमती पंक्तियां लिख रही हु
यह एक छोटा सा प्रयास है मेरी ओर से सभी माओं को प्रणाम । एक छोटी से कोशिश कविता के रूप में निवेदित करती हूं।
मां
मां एक अहसास है , मां एक अनुभूति है।
मां संसार में ईश्वर की अभिपूर्ती है।
मा जीवन के मरूथल में एक मीठा झरना है ।
मां कुमकुम है,रोली है ,चन्दन है,
मां नन्हे बच्चों का प्यारा सा आंगन है।
मां पतझड़ में वसंत ऋतु का आगमन है,
मां से ही जीवन में प्रेम व अनुशासन है।
मां निराशा भरे जीवन में आशाओं का उपवन है,
मां जीवन के सारे सपनों का गुलशन है
मां है तो एक आशा है,
कुंठित जीवन में एक अभिलाषा है।
मां जीवन का स्रोत है , धमनियों में बहता रक्त है ,
मां अशीशों का भंडार है ,करुणा और प्रेम का संसार है।
हम छंद हैं तो मां पूरी कव्यमला ,
हम सुर हैं तो मां गीतों की मांला,
हम टूटा तार हैं ,तो मां सुरीला सितार।
मां मंदिर है ,मस्जिद है, काबा है ,कैलाश है,
मां चारों धामों की यात्रा का भव्य आभास।
मां की सूरत के आगे भगवान की मूरत भी कुछ नहीं,
मां की दुआओं के आगे ईश्वर की कृपा भी कुछ नहीं।
मां भूखे बच्चे के लिए रोटी और स्नेह की आशा है ,
मां जीवन में जीवन ने प्रेम और त्याग की परिभाषा है।
मां जीवन में संस्कारों का संग्रह है,
मां प्रेम और वात्सल्य का पर्याय है।
मां आदि है , मां सृजन है, मां जीवन है ,
मां अभिलाषा है,शक्ति है ,ऊर्जा है ,आकांक्षा है,
मां क्षमा है ,प्रेम है ,भावना है,
मां परमात्मा की सबसे सुंदर रचना है।
मां का जीवन में मोल कम हो नहीं सकता ,
मां का स्थान जीवन में कोई ले नहीं सकता ।
परमात्मा भी जिसके दायित्व का निर्वहन करने से डरे,
उस मां की व्याख्या मेरी कलम क्या करे।
उम्मीद करती हु सबको यह पंक्तियां अच्छी लगी होगी,यह मेरी मां यानी सासु मां पर समर्पित है।
मां की वंदना है , कोई अध्याय नहीं ,
मां का जीवन में कोई पर्याय नहीं।।
स्वरचित
दीपाली कालरा
सरिता विहार नई दिल्ली