माँ
माँ
माँ में गर्भ से निकलकर देखूँगी संसार
न लो जीवन मेरा तुम ..
होगा बड़ा उपकार !
उठो ,लड़ो इस दुष्ट समाज से
करो इसका संहार
मैं हूँ अंश तुम्हारा ..
मत करो , मुझसे इंकार !
जन्म लेकर इस दुनिया में
तोड़ रीति-रिवाज़ ..
मुक्त करुँगी तुमको में ..
दिलाऊंगी सम्मान !
विजय दशमी के दिन
दाह करुँगी रावणों का
सती न होगी सीता अब !
प्रण करुँगी मैं …….