माँ
मां के लिए कुछ लिखूं मेरी कलम में ताकत नही
मां की ममता का बखान करूं शब्दों में ताकत नही
नो महीने गर्भ में रख जन्म देती है वो होती है मां
अपना दूध पिलाती है पालती है वो होती है माँ
हर दुख से जो बचा कर रखती वो होती है माँ
आँचल में अपने जो छुपा लेती वो होती है माँ
डाँट कर चुपके चुपके जो रोती वो होती है माँ
अगले पल सीने से चिपटाती वो होती है माँ
तूफानों से लड़ कर बचाती है वो होती है माँ
अपने हाथों से खाना जो खिलाती वो होती है माँ
माँ देवी है, नवदुर्गा है, लक्ष्मी भी होती है माँ
विद्या की देवी सरस्वती मां शारदे होती है माँ
ऐसी मां के चरणों में मेरा शत शत वंदन है
सिर्फ आज नही तेरा हर दिन अभिनंदन है