माँ
माँ
माँ की ममता से बढ़कर,
और कुछ अनमोल नहीं,
माता-पिता के स्नेह का,
जगत में कोई मोल नहीं।।
नौ मास तक रखे गर्भ में,
रक्षा कर हर मुश्किल से,
सोच कि कब आयेगा मेरा,
नन्हा लगेगा इस दिल से।
स्नेह सुधा पय बरसाती माँ,
जिसका कोई भी तौल नहीं,
माँ की ममता से बढ़कर,
और कुछ अनमोल नहीं।।
किलकारी भर-भरकर माता,
जब करती बच्चों को प्यार।
आनंद विभोर हो जाते बच्चे,
चेहरे पर होता हर्ष अपार।
माता कहती लाल सा मिठा,
जग में दूजा कोई बोल नहीं।
माँ की ममता से बढ़कर,
और कुछ अनमोल नहीं।।
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रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597