माँ
माँ
मां की ममता सागर जैंसी
गहरी अथाह ।
आकाश से भी ऊंची विशाल
आत्मीय चाह ।।
जिसके हृदय में करुणा की
है घनी पीर।
जिसकी आंखों में प्रेमरूप है
अश्रु नीर ।।
जो वसुधा सी पालन पोषण
हित है गम्भीर ।
सुख दुख के झंझावातों में
जो धरे धीर ।।
जिसके आशीषों से नव जीवन
कुसुम खिले।
स्नेह सलिल निर्झर सी शीतल
शांति मिले ।।
माँ की महिमा लिख पाने को
हैं नहीं शब्द ।
ज्यों मूक स्वाद मन ही मन
जाने हो निःशब्द ।।
– सतीश शर्मा
जिला- नरसिंहपुर(म.प्र.)