माँ
माँँ वह छांव है जिसके तले हम पले बड़े है।
वह सुखद अनुभूति है जिसे हम बचपन से अब तक संजोये रहे है।
वह एक प्रेरणा स्त्रोत है जो हमारे जीवन का संबल है।
वह धैर्य की पराकाष्ठा की मूर्ति है और त्याग की देवी है।
वह एक समर्पण भाव है और संस्कारों की जननी है।
वह एक सुरक्षा भाव है और संकटों से जूझने की उत्प्रेरक शक्ति है।
एक आत्मविश्वास एवं निर्भीकता का संचार है।
एक विद्यादायिनी एवं ज्ञानवर्धिनी है।
वह सृजन की प्रेरणा एवं निर्माण की अभिलाषा है।
वह सुखदायिनी और दुःखहरणी है।
वह आभा का प्रसार एवं तेज का संचार है।
वह वात्सल्य का स्वर्ग और प्रेम का उत्कर्ष है।