माँ
माँ
माँ ! शब्दों से परे ,
एहसास की भाषा है |
माँ ! माथे की सिलवट ,
हर दर्द की दिलासा है |
माँ ! स्नेह की अविरल नदी ,
निश्छल प्रेम की पराकाष्ठा है |
माँ ! दुख सुख में समरस ,
सहनशीलता की परिभाषा है |
माँ ! बनावट से रहित ,
जीवन की सत्यता है |
माँ ! छल कपट से परे,
ईश्वर की उदारता है |
माँ ! संपूर्ण संसार ,
जग की जीवनता है |
माँ ! स्नेह भरी छाँव ,
सुख भरी बरखा है |
माँ आधार ,
गति लय और ताल है |
माँ ! उदार ,
सागर विशाल है |
माँ ! ही सर्वस्व ,
माँ ही परमात्मा है |
कहता है ईश्वर ,
माँ ही विधाता है |
मंजूषा श्रीवास्तव