माँ
ऐ माँ अपने आंचल में छुपा ले मुझे
दुनिया की सारी बदसूरती से बचा ले मुझे ।
दामन से सारे आँसू पोंछ दे मेरे
बचपन में वापिस छोड़ दे मुझे।
वो अलहड़ नादानियाँ दिला दे मुझे
वो खिलखिला कर हँसना सिखा दे मुझे।
सही गलत की पहचान मिटा दे मेरी
तन्हाईयों से निकलना सिखा दे मुझे।
बस माँ अपने आंचल में समेट कर
खुश रहने का सलीका दे दे मुझे।
इस निर्मम दुनिया से जूझने के काबिल बन सकूं मैं
अपनी जितनी सहनशक्ति की स्वामिनी बना दे मुझे।
अंधेरा चीर कर रोशनी, तेरी तरह ला सकूं मैं
हार कर भी खुद से, तेरी तरह हमेशा जीत सकूं मैं।
बस माँ अपनी तरह जीना सिखा दे मुझे
निःस्वार्थ जीवन जीना सिखा दे मुझे,
निःस्वार्थ जीवन जीना सिखा दे मुझे।।
अर्चना
(दिल्ली)