माँ
माँ ,कहने को केवल एक शब्द
मगर, ना जाने कितने अर्थ
अपने अंदर समेटे हुए
कितनी भावनायें समाहित किए हुए
कितनी ममता भरे हुए
एक जीती जागती आकृति
एक कोमल एहसास
मगर ,अंबर से विशाल
सागर से गहरी तारों सी अनंत
त्याग और बलिदान की मूरत
जिसमें रहती केवल
अपने बच्चों की सूरत
हर वक्त साथ रहता उसका साया
जब भी हो उसकी हमें जरूरत
कितनी परिभाषायें लिखी गई
कितने ग्रंथ लिखे गयेफिर भी, जान पाया कौन
वो क्या है? वो क्या है? जवाब केवल इतना है
माँ तो माँ है, केवल माँ है महज एक शब्द नहीं
जिसकी कोई परिभाषा नहीं |
अनामिका शर्मा
मुंबई