माँ
माँ
धन्य धरा पर मां है मेरी
शब्द जहाँ में मां है मेरी
शीतल कोमल करूणा मन की
भारत माता तन है मां की ।
प्रत्यक्ष लक्ष्मी मां है घर की
धन -धान्य से घर को भरती
नव दुर्गा स्वरूप है रज की
भारत देश में मां है रहती ।
नौ माह का दर्द है सहती
लहू से सींचकर जन्म है देती
कष्ट सहन कर हंसती रहती
रूप देखकर खिल है उठती ।
मैं तुच्छ सा मानव जग का
चरण धरू मैं अपनी मां का
मैं तो ऋणी हूँ अपनी मां का
कैसे काव्य करू मैं मां का…नमन ।।
कवि –
धरम पटेल
पता – बाकरगंज मया पटेल गढ़
जिला – अयोध्या उत्तर प्रदेश भारत
मोबाइल नं – 9721381633/ 8318677295
ईमेल- dharmpatel319@gmai.com