Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Nov 2018 · 1 min read

माँ

रुखी सी रोटियों पर घी की धार सी माँ,
रुखे से मन पर लगा देती थी,अपनी बातों का स्नेहन।
और दमक उठता था मन और तन।

मुश्किलें, परीक्षाएँ चलती रहती है,
जब सब्र की जेब रीतने सी लगती है।
उसकी सीख समझाईश अक्सर
भरपाई कर जाती है।

जीवन के सफर में आते है जब
मुश्किलों की आँच पर,उन
पकते हुए लम्हों पर दुआ बन बरसती माँ,
हमारी कोशिशों में संबल भर जाती है।

कभी पढ़ा था विज्ञान की किताब में
होता है उत्परिवर्तन,
माँ भी तो करती है,
विचारों का उत्परिवर्तन।
औलाद की खातिर बदल देती है सब कायदे।
जैसे लगा रही हो दिठौना कि,
जीवन के सफर पर नजर ना लगे हमें।

यादों की ईख को जब भी पेरने बैठा मन,
छलक छलक कर मधुरता मन में
भर जाती है माँ।
कविता नागर
देवास(म.प्र.)

10 Likes · 58 Comments · 904 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बिखरी बिखरी जुल्फे
बिखरी बिखरी जुल्फे
Khaimsingh Saini
4967.*पूर्णिका*
4967.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वतन-ए-इश्क़
वतन-ए-इश्क़
Neelam Sharma
"शिक्षक दिवस "
Pushpraj Anant
तू ज़रा धीरे आना
तू ज़रा धीरे आना
मनोज कुमार
जो बातें अनुकूल नहीं थीं
जो बातें अनुकूल नहीं थीं
Suryakant Dwivedi
धर्म की खूंटी
धर्म की खूंटी
मनोज कर्ण
बस पल रहे है, परवरिश कहाँ है?
बस पल रहे है, परवरिश कहाँ है?
पूर्वार्थ
कथनी और करनी
कथनी और करनी
Davina Amar Thakral
रंग जाओ
रंग जाओ
Raju Gajbhiye
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
गहरे जख्म
गहरे जख्म
Ram Krishan Rastogi
प्रकृति
प्रकृति
Sûrëkhâ
जय श्रीराम
जय श्रीराम
Indu Singh
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दोहा त्रयी. . . शंका
दोहा त्रयी. . . शंका
sushil sarna
"कोशिशो के भी सपने होते हैं"
Ekta chitrangini
Good Night
Good Night
*प्रणय*
कोहरे के दिन
कोहरे के दिन
Ghanshyam Poddar
"शाश्वत"
Dr. Kishan tandon kranti
ये काबा ये काशी हरम देखते हैं
ये काबा ये काशी हरम देखते हैं
Nazir Nazar
पसीने वाली गाड़ी
पसीने वाली गाड़ी
Lovi Mishra
हम तुम्हें
हम तुम्हें
Dr fauzia Naseem shad
ये दुनिया भी हमें क्या ख़ूब जानती है,
ये दुनिया भी हमें क्या ख़ूब जानती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तुम्हें आसमान मुबारक
तुम्हें आसमान मुबारक
Shekhar Chandra Mitra
जख्म वह तो भर भी जाएंगे जो बाहर से दिखते हैं
जख्म वह तो भर भी जाएंगे जो बाहर से दिखते हैं
Ashwini sharma
*सुकृति (बाल कविता)*
*सुकृति (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Mother's passion
Mother's passion
Shyam Sundar Subramanian
परमपिता तेरी जय हो !
परमपिता तेरी जय हो !
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
Loading...