माँ
माँ
Alka Keshari
Alka Keshari
कविता
Nov 24, 2018
माँ ममता की शीतल छाया,दरिया दिल होती है माँ।
घर वो मंदिर जैसा होता,जिस घर मे होती है माँ।।
????
मीठी-मीठी लोरी गाती, थपकी देकर हमे सुलाती,
अपने आँचल की छाया में,सुंदर से सपने दे जाती।
मेरे हर तकलीफों पर तो, दर्द लिए रोती है माँ।
घर वो मंदिर…………………………… ।।
????
मेरे ख़ातिर दुःख सह जाती,पर मुख सेकुछ न कह पाती,
सूखे बिस्तर हमको देकर,गीले पर वो खुद सो जाती।
त्याग तपस्या की प्रतिमूर्ति, निर्मल सी होती है माँ।
घर वो मंदिर…………………………… ।।
????
दर्द जरा सा होता हमको,माँ की याद सताती है,
संस्कार के पथ पर देखो,माँ हीं हमे चलाती है।
कैसे होंगे वे सब बच्चे, जिनकी न होती हैं माँ।
घर वो मंदिर…………………………..।।
?अलका केशरी?