माँ
अभी-अभी तो सोई थी
अभी-अभी वह जाग गया,
माँ की उनींदी आँखों से
सुन्दर सा सपना भाग गया ,
छिल चुकी छाती से
अपने नन्हे को लगाती है,
माँ कितनी भोली है
‘सपने’को स्वप्न दिखाती है”
-ऋतुजा सिंह बघेल
लखनऊ
अभी-अभी तो सोई थी
अभी-अभी वह जाग गया,
माँ की उनींदी आँखों से
सुन्दर सा सपना भाग गया ,
छिल चुकी छाती से
अपने नन्हे को लगाती है,
माँ कितनी भोली है
‘सपने’को स्वप्न दिखाती है”
-ऋतुजा सिंह बघेल
लखनऊ