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16 Nov 2018 · 1 min read

माँ…..

एक तुम ही तो हो..
अपना सुख त्याग के..
दिन रात मेहनत करती हो..
पल्लू में रह के गोबर की,टोकरी उठाती हो..
तपती गर्मी में चुल्हे में खाना बनाती हो..
माँ तुम कैसी हो …
तुम्हारा कर्ज कैसे चुकाऊँ।

जन्म से पहले प्यार किया…
चलना सिखाया,बढ़ना शिखाया…
जबकि बंधे थे हाथ, समाज की जंजीर से…
खुद तो देश के लिए जान देती हो…
शहीद बेटे के दर्द को भी छुपा लेती हो…
माँ तुम कैसी हो …
तुम्हारा कर्ज कैसे चुकाऊँ।

तुझे बृद्ध आश्रम में छोड़ने के बाद भी …
तू अपने बेटे से प्यार करती रही …
तू अपने गम छुपा के,मिलने को तड़पती रही…
एक दिन सांसे थम गई ….
फिर भी तू प्यार करती रही…
असली भगवान तो तुम हो माँ, तुम्हारा……

?जै हिन्द जै भारत वन्दे मातरम?

?ज्ञानेंद्र सिंह कुशवाहा?

5 Likes · 24 Comments · 586 Views
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