माँ
माँ मुझे अपने आँचल में,
लपेट कर सो जाती है।
दूनिया की बुरी नजरो से,
मेरी हिफाजत हो जाती है॥
माँ तेरी दुआ में बड़ा ही असर है,
मेरी तरक्की का जो ये सफर है।
बस तेरी प्रार्थना का सबर है,
बाकी दूनिया इससे बेखबर है॥
माँ, तेरा आशीर्वाद ही तरक्की छू आता है,
जिंदगी का हर मंजर करीब नजर आता है।
तेरे चरणो की पूजा से ही यह दौलत पाई है,
तू ही है, जो कभी ना होती पराई है॥
माँ,खुदा से भी बड़ी तेरी रहम्मत है,
मेरी जिंदगी सिर्फ तेरी ही अमानत है।
तेरे कर्ज का चंद कतरा भी न चुका पाऊंगा,
हर जन्म में माँ के रुप में तुझे ही पाऊंगा॥
लक्की सिंह चौहान
बनेड़ा(राजपुर), भीलवाड़ा, राजस्थान