माँ
सुना था मैंने श्रेष्ठ नही कोई भगवान से
पर ईश्वर भी झुकते है माँ के सम्मान में
अमृत्व पाकर अमर हो गए देव सारे
ईश्वर ने देकर माँ मनुज सारे तारे
माँ के आँचल में खुशियां स्वर्ग से बढ़कर है मिलती
ढलता है सूर्य भी नित साझ को मगर
माँ की ममता जीवन भर न ढ़लती
माँ अताह सागर है प्यार का ममता और दुलार का
उदाहरण है माँ निःस्वार्थ प्यार का
माँ रूप है ब्रह्म का गीता का सार माँ हैं
जीव के जीवन का आधार माँ है
अनिकेत दुबे
छतरपुर मध्यप्रदेश