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14 Nov 2018 · 1 min read

माँ

सुना था मैंने श्रेष्ठ नही कोई भगवान से
पर ईश्वर भी झुकते है माँ के सम्मान में
अमृत्व पाकर अमर हो गए देव सारे
ईश्वर ने देकर माँ मनुज सारे तारे
माँ के आँचल में खुशियां स्वर्ग से बढ़कर है मिलती
ढलता है सूर्य भी नित साझ को मगर
माँ की ममता जीवन भर न ढ़लती
माँ अताह सागर है प्यार का ममता और दुलार का
उदाहरण है माँ निःस्वार्थ प्यार का
माँ रूप है ब्रह्म का गीता का सार माँ हैं
जीव के जीवन का आधार माँ है

अनिकेत दुबे
छतरपुर मध्यप्रदेश

4 Likes · 23 Comments · 877 Views
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