माँ
माँ
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जैसे दिये में, ज्योति होती ,
माँ भी तो बस, ऎसी ही होती,
ख़ुद जल कर,घर रोशन करती,
तेरी व्याख्या, किसी से न होती,
तू जीवन का, आधार स्तंभ है,
तेरे बिना नहीं, जीवन संभव,
धूप में तुम, छांव के जैसी,
नदियां में तुम, नाव के जैसी,
तेरी डांट में भी, चिंता होती,
ममता जिसमें, अद्भूत होती,
कष्ट हजारों, सह कर भी,
संतान को तू, जन्म देती,
सहन सीलता, तुझ में खूब,
इसलिए तू है, धरा स्वरूप,
तुमने जन्मे, राम, रहीम,
कृष्ण, ईसा नहीं हो तेरे बिन,
महा पुरुषों की तुम हो माता,
तेरा गुण गान नारद भी गाता,
अब क्या मिसाल दू तेरी आज,
तेरे बिना नहीं होती ये दुनिया आज,…
उमा वैष्णव
(स्वरचित और मौलिक)
सुरत, (गुजरात)