अपने वतन की शान बढ़ाते रहेंगे हम
अपने वतन की शान बढ़ाते रहेंगे हम
नामे-वतन पे जान लुटाते रहेंगे हम
दिन-रात हौसले को जगाते रहेंगे हम
दुश्मन को बार-बार हराते रहेंगे हम
गुलशन को प्यार से ही सजाते रहेंगे हम
दीवार नफ़रतों की गिराते रहेंगे हम
राहों में सिर्फ़ फूल बिछाते रहेंगे हम
पत्थर भी रास्तों के हटाते रहेंगे हम
मिलजुल के साथ-साथ रहेंगे यहाँँ सभी
होगा जो भेदभाव मिटाते रहेंगे हम
होगी पड़ोसियों को कभी मुश्क़िलें अगर
मुश्किल के हल सभी को बताते रहेंगे हम
ऐसे भटक सके न कोई एक बार भी
मंज़िल के रास्ते भी दिखाते रहेंगे हम
होगा न फ़ायदा भी किसी का जिदाल में
दुनिया को सिर्फ़ प्यार सिखाते रहेंगे हम
अहले-वतन की याद दिलाते रहे सदा
आनन्द संग गीत सुनाते रहेंगे हम
शब्दार्थ:- जिदाल = लड़ाई
डॉ आनन्द किशोर