माँ
माँ संवाँर लो जरा
माँ तुम भी श्रृंगार करो
धूल धूसरित उलझी लट
संवार रेशम सा लहरालो
आँचल के पैबंद हटालो
फूलों सी कोमल साडी़
आज पहनों तो जरा
दिल तो मेरा घायल है
नन्ही सी मेरी चाहत है
थाम के ऊगली चलो
रंग बिरंगे गुब्बारे लेदो
इतनी ऊँची हो ऊड़ान
नीले आसमान
खुशियों के तराने
हम भी सुनेगे
कुछ ख्वाब हम भी बुनेगे
हम तुम संग ही रहेंगे
प्यार के बंधन में बंधे हैं
माँ तुम भी श्रृंगार करो