माँ
माँ
खुदा के नूर – सी रोशन हमेशा घर सजाए माँ ,
मकानों को मोहब्बत से हमेशा घर बनाए माँ !!
बन के कुदरत का वरदान रिश्तों से नवाजा है ,
बहू , बेटी , बहना बनके रिश्ता हर निभाए माँ !!
रहे परवाह सारे दिन महज़ परिवार की उसको,
दुआ से टाल दे बच्चों की सारी ही बलाएँ माँ !!
लगी रहती दिनों “औ ” रात घर के काम करने में,
सभी के बाद सोती है हमें पहले सुलाए माँ!!
खिलाती औरों को पहले है सभी के बाद खाती ,
दीवाली , ईद पर पकवान भी ढेरों बनाए माँ !!
करे कुर्बान सब खुशियाँ भला सोचे नहीं खुद का,
सुखी परिवार हो जिसमें ख़ुशी ऐसी मनाए माँ!!
आशीष – आशीर्वादों से रक्षा करे औलाद की ,
खुदा का रूप धर कर के संसार में आए माँ ।
बन के कुदरत का वरदान रिश्तों से नवाजा है ,
बहू , बेटी , बहना बनके रिश्ता हर निभाए माँ !!
भले कर ले लाख कोशिश मगर ये याद रख ‘ मंजू ‘
नहीं गुणगान कर सकती कि ग़म कितने उठाये माँ!!
– मंजु गुप्ता
वाशी , नवी मुम्बई