कुंदन मात बना दिया
?माँ?
कुंदन मात बना दिया, देकर अपना प्यार।
हृदय कमल खिलता रहा, तेरे नीर दुलार।।१।।
शब्दों में ना लिख सकूँ, माँ तेरे उपकार।
कितनी भी सेवा करूँ, सकूँ न कर्ज़ उतार।।२।।
मां की गोदी शीश रख, सुख जन्नत मिल जात।
ममता के ही छत्र में , का गर्मी बरसात।।३।।
भरी दुपहरी ग्रीष्म की, माँ है शीतल छाँव।
हर लेती विपदा सभी, अमिट नेह का ठाँव।।४।।
मेरे हँसते वो हँसे, मैं रोऊँ वो रोय।
संगी ऐसा ना मिले, दुखी संग मेंं होय।।५।।
भोली सूरत फ़ब रही, निश्चली मन प्रताप।
उसकी ममता हर रही , हर मन का संताप।।६।।
माँ का ये आँचल बने, सबकी शीतल छाँव।।
मातृ चरण वंदन करें, अमिट यही है ठाँव।।७।।
माँ ममता की मूर्ति है, करती पोषित क्षेत्र।
असुर संहारक बनती, खोले जो त्रिनेत्र।।८।।
माँ की गोद ही पलता, यह सारा संसार।
सुर नर मुनिजन जन्म ले, पाएँ वोहि दुलार।।९।।
माँ की सेवा जो करे, फूले फल हर हाल।
हरेक बाधा शमन हो, घर-आँगन खुशहाल।।१०।।
# डॉ. बीना राघव
गुरुग्राम