Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Nov 2018 · 3 min read

‘माँ’

कहानी जो लिखी हैं मैंने अगर छू जाये आपके दिल को तो बताना जरूर कि कोशिश कैसी की हैं मैंने?
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷

निकली थी जब मैं आज मंदिर के लिए पहनकर जूतियाँ वो जो पहली और आखिरी बार तोहफे में दी थी मुझे तुमने,ख्यालों में खो कर तुम्हारे चलती जा रही थी रास्ते पर होश आया तब अचानक जब पैरों को मेरे काटने लगी वो जूतियाँ रुकी नहीं मैं चलती ही रही क्यूँकि आस थी एक ये दिल में कि पहुँचा देंगी ये(जूतियाँ)मुझे ईश्वर के दर तक पर ये क्या एक कदम भी न रख पा रही थी अब मैं ,फिर भी सम्भाल कर रख रही थी हर कदम मैं ,जैसे ही रिस कर जमीन पर रक्त आया मेरे पैरों से तो तेज घबराहट थी मेरी माँ के चहरे पे जिद्द कर उन्होंने मुझसे उतरवा ली वो जूतियाँ जिनमें अटके थे प्राण आधे मेरे(क्यूंकि वो तोहफा तुम्हारा दिया हुआ था) बड़ी मुश्किल से ले पाई वो जूतियाँ वो मुझसे और पहना दी अपने हाथों से चप्पल अपनी मुझे और चलने लगी खुद नंगे पैरों से वो उस रास्ते पर,जा तो रही थी मंदिर मैं पर ये क्या? मेरा भगवान तो मेरे साथ ही चल रहा था,पूछ रहा था पल-पल जो मुझसे तकलीफ तो नहीं हो रही बेटा तुम्हें अब इनसे(चप्पलों से)और मैं जो अब तक खोई थी तुम्हारे ख्यालों में रो गई थी उसी पल माँ के त्याग और ममता भरे जज्बातों में, भरे हुए नैनों को समोख लिया मैंने आने न दिया आँखों से बाहर उस पानी को मैंने,नम आँखों से पहुँची दर पे मैं ईश्वर के,पूछना चाहा था मैंने उनसे(ईश्वर से) जिन सवालों को ,जवाब तो हर बात का एक ही दे चुके थे रूप में माँ के मुझे वो मेरे पहुँचने से पहले…..पूरा रास्ता तय किया जिसने नंगे पैरों से और आने नहीं दी एक भी शिकन माथे पे अपने, वो खुद मेरा ईश्वर था जो था माँ के रुप में साथ मेरे ,घर आकर देखभाल में लगा दिया खुद को ऐसे जैसे न जाने कितना बड़ा जख्म खाया हो उसके जिगर के टुकड़े ने ,दर्द तो मुझे उतना नहीं हो रहा था पैरों के जख्म से जितना तड़प रहा था दिल माँ की फ़िकर से(माँ जो कर रही थी मेरी फिकर),बहने को चाह रहा था बार-बार पानी आँखों का ये सोच-सोच कर कि चाहा जितना तुझे मैंने काश जरा सी भी कद्र कर ली होती कभी वक्त रहते उस माँ की मैंने
“तुम क्या वफ़ा करते मुझसे ?..तुम्हारा तो तोहफा भी जफ़ा कर गया मुझसे,चुभन दे गया मुझे और बदले में रक्त लेकर मेरा, कीमत भी अपनी बसूल कर ले गया मुझसे।”
भूल तो बहुत की जीवन में मैंने पर सबसे बड़ी गलती की थी चाह कर अपनी माँ से ज्यादा तुमको मैंने ,आज इस गलती का अहसास हुआ मुझे माँगती हूँ माफ़ी मैं हे माँ मेरी तुमसे ,जिस ईश्वर को ढूँढती थी मैं पत्थर दिल प्रियतम में वो तो था माँ बस तुममें। तुमको इन नम आँखों से कोटी-कोटी वन्दन माँ,होती अगर इजाजत इस देश में चरण तुम्हारे स्पर्श करने की तो सच माँ दिल चाह रहा हैं आज मेरा कि करूँ मैं तुमको माँ चरणवंदन ,करूँ मैं तुमको माँ चरणवंदन।
wrt by Ritika(preeti) Samadhiya….A Good Human Being…..✍???

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 686 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शायरी - गुल सा तू तेरा साथ ख़ुशबू सा - संदीप ठाकुर
शायरी - गुल सा तू तेरा साथ ख़ुशबू सा - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
#पैरोडी-
#पैरोडी-
*Author प्रणय प्रभात*
2236.
2236.
Dr.Khedu Bharti
वासना और करुणा
वासना और करुणा
मनोज कर्ण
पुरातत्वविद
पुरातत्वविद
Kunal Prashant
*चाँद कुछ कहना है आज * ( 17 of 25 )
*चाँद कुछ कहना है आज * ( 17 of 25 )
Kshma Urmila
किशोरावस्था : एक चिंतन
किशोरावस्था : एक चिंतन
Shyam Sundar Subramanian
गुरु कृपा
गुरु कृपा
Satish Srijan
मुक्तक
मुक्तक
कृष्णकांत गुर्जर
दोहा छन्द
दोहा छन्द
नाथ सोनांचली
अब तो रिहा कर दो अपने ख्यालों
अब तो रिहा कर दो अपने ख्यालों
शेखर सिंह
मनमीत मेरे तुम हो
मनमीत मेरे तुम हो
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
रक्षा में हत्या / मुसाफ़िर बैठा
रक्षा में हत्या / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
"सच और झूठ"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
मोहक हरियाली
मोहक हरियाली
Surya Barman
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
Sangeeta Beniwal
माँ महान है
माँ महान है
Dr. Man Mohan Krishna
Happy Holi
Happy Holi
अनिल अहिरवार"अबीर"
बेटियां अमृत की बूंद..........
बेटियां अमृत की बूंद..........
SATPAL CHAUHAN
भाषण अब कैसे रूके,पॉंचों साल चुनाव( कुंडलिया)
भाषण अब कैसे रूके,पॉंचों साल चुनाव( कुंडलिया)
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-544💐
💐प्रेम कौतुक-544💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बाबूजी
बाबूजी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कभी कभी प्रतीक्षा
कभी कभी प्रतीक्षा
पूर्वार्थ
जिंदगी के कुछ चैप्टर ऐसे होते हैं,
जिंदगी के कुछ चैप्टर ऐसे होते हैं,
Vishal babu (vishu)
नशा
नशा
Mamta Rani
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
Surinder blackpen
अतीत के “टाइम मशीन” में बैठ
अतीत के “टाइम मशीन” में बैठ
Atul "Krishn"
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा "वास्तविकता रूह को सुकून देती है"
Rahul Singh
बँटवारा
बँटवारा
Shriyansh Gupta
Loading...