माँं
ईश्वर का वरदान है माँ!
सकल गुणों की खान है माँ!!
जिस पर सजता हर सुर हो!
वो दिलकश सी तान है माँ!!
ममता की वो अनुपम मूरत!
आन-बान और शान है माँ!!
जीवन पथ के पशोपेश में!
मधुर सुरीला गान है माँ!!
कहे मुसाफ़िर सुन लो सारे!
मेरा तन-मन जान है माँ!!
धर्मेन्द्र अरोड़ा “मुसाफ़िर”
शहर पानीपत