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6 Nov 2018 · 1 min read

माँ

दोहे –

अद्भुत है संसार में, माँ का प्यार महंत।
होती है शुरुआत पर, होता कभी न अंत।।

माँ की ममता से भरा, अद्भुत यह संसार।
खुद भूखी देती रही, बच्चों को आहार।।

होता माँ के हाथ में, लिखना यदि तक़दीर।
चाहे पूत कपूत हो, कभी न लिखती पीर।।

माँ के आँचल में छुपा,खुशियों का संसार।
माँ सम इस संसार में, करे न कोई प्यार।।

बच्चों को आनन्द से, भर दे माँ की गोद।
ईश्वर को भी इस तरह, मिलता नहीं प्रमोद।।

एक निमिष भी देख लें, जिसको मेरे नैन।
माँ के दर्शन मात्र से, मिलता मन को चैन।।

भाऊराव महंत
बालाघाट, मध्यप्रदेश

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