माँ
हमारी जिंदगी की शुरुवात
माँ के गोद से होती है
हम जो रोते है
तो दर्द माँ को भी होती है
देखी जो थोड़ी सी बेचैनी
तो ममता फफक पड़ती है
कोई शक नही इसमें
माँ तो ममता की मूरत होती है
नौ महीने रहते हम कोख में
साल भर रहते जिसकी गोद में
एक एक कदम जिसने
हमको चलना सिखाया
टूटे हुए शब्दों को
जिसने हमे जोड़ना सिखाया
प्यार भरे हाथो से हमे
जिसने दुलार के खिलाया है
उसकी ममता ने ही
उसे माँ कहलवाया है
लेखक
धनराज खत्री
शपथ पत्र
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