माँ
माँ
एक शब्द नही पूरा परिवार है ,
माँ सिर्फ माँ नही दैवीय अवतार है ।
माँ वो है जिससे पूरा संसार है
माँ बेटे का भविष्य और बेटी का संस्कार है ।।
माँ तेरा मेरा नही करती जो व्यापार है
माँ सबको देती है बराबर जो जिसका अधिकार है ।।
माँ जीवन का एक दर्पण है
जिसमे दिखता आपका आकार है ।।
माँ अभिलाषा है इच्छा है ऊंचाई है
माँ जीवन मे बनाया हुआ पूरा घर बार है ।।
माँ तो बस माँ होती है जिसकी ममता ही अपार है
माँ तो बस माँ होती है जिस पर टिका सारा परिवार है ।।
VKD #दिलतोड़
विजय कुमार धनखड़
नजफगढ़ नई दिल्ली