माँ
माँ
माँ बनाकर खुदा ने कहा देर तक।
दर्द माँ ने बहुत ही सहा देर तक।।
इक कली गुल बनी फिर बना ये चमन।
बागवां जिसका माँ-सा, खिला देर तक।।
है सुरक्षित उन्ही का सदा मुस्तक़बिल।
माँ का साया जिसे है मिला देर तक।।
हर कदम राह चलना सिखाया हमें।
दर्द में राहतें माँ शिफ़ा देर तक।।
माँ की सुनके सदा जागते हम रहे।
माँ न जागी जला ना दिया देर तक।।
ज़ीस्त की धूप में माँ है बाद ए सबा।
बिन सबा पत्ता भी न हिला देर तक।।
माँ कहानी अमर माँ है ज़ीनत, जहां।
मीरा “माँ-सा ना कोई बना देर तक।।
मीरा मंजरी 0 3/11/2018
शव्द अर्थ
सबा=हवा मुस्तक़बिल =भविष्य
ज़ीस्त =ज़िन्दगी शिफ़ा =स्वास्थ्य
बादे सबा =पुरवा हवा सदा =आवाज
ज़ीनत =सौंदर्य जहां =संसार
मीरा परिहार,आगरा