माँ
माँ से बढ़कर जग में कोई होता नहीं महान है
(1)
प्रथम पाठशाला है माँ बच्चे को पाठ पढ़ाती
सुगढ़ नागरिकता के पथ पर आगे उसे बढ़ाती
विद्यालय विद्वान बनाते , माँ गढ़ती इंसान है
मॉं से बढ़कर जग में कोई होता नहीं महान है
(2)
घर की ईंटें कहती हैं , घर मॉं के कारण घर है
जहॉं न होती मॉं लगता वह घर जैसे खॅंडहर है
घर कहलाता मां के कारण, वरना सिर्फ मकान है
मॉं से बढ़कर जग में कोई होता नहीं महान है
(3)
अपने जेवर बेचे लेकिन माँ ने हमें पढ़ाया
आधी रोटी खाकर जग में आगे हमें बढ़ाया
बच्चों को देती अमृत माँ, खुद करती विषपान है
मॉं से बढ़कर जग में कोई होता नहीं महान है
रवि प्रकाश, रामपुर