माँ हिंदी के गुण गाते हैं,
हर मन की जो अभिलाषा है,
उसकी अभिव्यक्ती भाषा है।
है परचम जो भारत माँ का,
अलंकरण है बिन्दी है,
उस मर्मस्पर्शी भाषा का,
नाम यहाँ पर हिंदी है।
मातृभूमि से प्रेम यहाँ,
छुपा हुआ निज भाषा में,
विज्ञान छुपा साहित्य छुपा,
सब दर्शन की इस माता में।
हर छन्द यहाँ रसपूर्ण मिले,
हर ज्ञान यहाँ सम्पूर्ण मिले,
माँ हिंदी के चरणों में सदा,
तर्कों की कसौटी पूर्ण मिले।
मेरी सांसे पलकें धड़कन,
माँ हिंदी के गुण गाते हैं,
हम अपने चेतन मन से माँ,
तुमको शीश नवाते हैं ।?।