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30 Jan 2024 · 1 min read

माँ सच्ची संवेदना…

माँ सच्ची संवेदना, माँ कोमल अहसास।
मेरे जीवन-पुष्प में, माँ खुशबू का वास।।

रंग भरे जीवन में जिसने, महकाया संसार।
पाला पोसा जानोतन से, दिया सुघड़ आकार।
खुश रहे जो मेरी खुशी में, अपनी खुशी बिसार,
ममता की मूरत उस माँ पर, दूँ सर्वस्व निसार।

भुला न पाऊँ माँ की ममता, नेह भरे उद्गार।
आँसू जब-जब भरे नयन में, तुरत लिया पुचकार।
हर मुश्किल में हर विपदा में, बनती माँ ही ढाल,
माँ से खुशियाँ माँ से हर सुख, माँ से ये संसार।

कितना सुकूं और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
चुटकी में हर गम हर लेता, मेरी माँ का आँचल।
सूनी आज निगाहें मेरी, बह गया आँखों का काजल।
कोई लौटा दे आज मुझे, मेरा बचपन माँ का आँचल।

कर सकता नहीं ईश्वर भी, माँ की ममता से समता।
नौ मास कोख में रखने की, नहीं उसमें भी क्षमता।
अतुलनीय है त्याग, अकल्पनीय समर्पण उसका,
थम जाए व्यापार जग का, प्यार न माँ का थमता।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )

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