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23 Oct 2022 · 1 min read

*माँ यह ही अरदास (हिंदी गजल/दोहा गीतिका)*

माँ यह ही अरदास (हिंदी गजल/दोहा गीतिका)
■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
मन प्रसन्न रखना सदा ,माँ यह ही अरदास
खिले कमल की भाँति मुख ,पाऊँ नहीं उदास
(2)
हरदम मुस्काता रहूँ ,अंतिम तिथि तक मास
जेब भले खाली रहे ,भले न हो कुछ पास
(3)
जग से क्या कुछ माँगना ,खाता आधा ग्रास
माँ ! तू जग की स्वामिनी ,तुझसे रक्खूँ आस
(4)
धन की दौड़ अनंत है , कस्तूरी आभास
माँ दो धन के साथ में ,परम शाँति का वास
(5)
ताकत मुझको दो सदा ,मन में भरो उजास
तेरा मेरे पास में , होने का अहसास
(6)
अंधकार हारे सदा ,विजयी हो यह दास
कर देना इस भाँति माँ ,मेरा हर दिन खास
(7)
जग को नश्वर जानिए ,दो दिन का आवास
भौतिकता जिसमें बसी , भोगेगा संत्रास
“”””””””””””””””””””””””””””””””””'”””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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