Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jan 2017 · 1 min read

माँ मैने क्या कसूर किया

माँ मैने क्या कसूर किया
जो तुने मुझे छोड दिया
एकांत में मरने के लिए
इस बीहड़ जंगल में डाल दिया
में तो चाहती थी इक कोना
तेरी ममतामयी गोद में सोना
पर विधाता ने नही लिखा
मेरे भाग्य में ऐसा होना
माँ मैने क्या कसूर किया
जो तुने मुझे छोड़ दिया।
क्या कसूर इतना किया
लड़की के रूप में जन्म लिया
पर माँ आपने भी तो कभी
लड़की के रूप में ही जन्म लिया
माँ मैने क्या कसूर किया
जो तूने मुझे छोड़ दिया।
माँ में कोई जिद न करती
तेरे साथ ही में काम करती
पर नही था भाग्य में मेरे
इस धरती पर रहना
माँ मैने क्या कसूर किया
जो तूने मुझे छोड़ दिया।
जन्म तूने मुझे दिया है माँ
फिर खुद से दूर क्यों किया है माँ
हु में तेरी राजदुलारी
तूने ही मुझे अपना अक्स दिया
माँ मैने क्या कसूर किया
जो तूने मुझे छोड़ दिया।
तेरे घर के ऊपर आसमान में
तारा इक बन जाउंगी माँ
तेरे आँगन को चमकाकर
अपनी यादे छोड़ जाउंगी माँ
माँ मेने क्या कसूर किया
जो तूने मुझे छोड़ दिया

1 Like · 1 Comment · 703 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संस्कृति
संस्कृति
Abhijeet
किसी को अपने संघर्ष की दास्तान नहीं
किसी को अपने संघर्ष की दास्तान नहीं
Jay Dewangan
बात तो कद्र करने की है
बात तो कद्र करने की है
Surinder blackpen
जन्नतों में सैर करने के आदी हैं हम,
जन्नतों में सैर करने के आदी हैं हम,
लवकुश यादव "अज़ल"
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
कवि रमेशराज
Tum khas ho itne yar ye  khabar nhi thi,
Tum khas ho itne yar ye khabar nhi thi,
Sakshi Tripathi
प्रेम
प्रेम
Rashmi Sanjay
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
Ranjeet kumar patre
दिल ने गुस्ताखियाॅ॑ बहुत की हैं जाने-अंजाने
दिल ने गुस्ताखियाॅ॑ बहुत की हैं जाने-अंजाने
VINOD CHAUHAN
24/232. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/232. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़िंदगी को जीना है तो याद रख,
ज़िंदगी को जीना है तो याद रख,
Vandna Thakur
बहुत कुछ अधूरा रह जाता है ज़िन्दगी में
बहुत कुछ अधूरा रह जाता है ज़िन्दगी में
शिव प्रताप लोधी
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
Subhash Singhai
*चार दिवस मेले में घूमे, फिर वापस घर जाना (गीत)*
*चार दिवस मेले में घूमे, फिर वापस घर जाना (गीत)*
Ravi Prakash
गति साँसों की धीमी हुई, पर इंतज़ार की आस ना जाती है।
गति साँसों की धीमी हुई, पर इंतज़ार की आस ना जाती है।
Manisha Manjari
आने वाला कल दुनिया में, मुसीबतों का कल होगा
आने वाला कल दुनिया में, मुसीबतों का कल होगा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ख़ाक हुए अरमान सभी,
ख़ाक हुए अरमान सभी,
Arvind trivedi
"गौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
* चली रे चली *
* चली रे चली *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
समय आया है पितृपक्ष का, पुण्य स्मरण कर लें।
समय आया है पितृपक्ष का, पुण्य स्मरण कर लें।
surenderpal vaidya
जीवन दुखों से भरा है जीवन के सभी पक्षों में दुख के बीज सम्मि
जीवन दुखों से भरा है जीवन के सभी पक्षों में दुख के बीज सम्मि
Ms.Ankit Halke jha
मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता
Mukesh Kumar Sonkar
तुम जिसे खुद से दूर करने की कोशिश करोगे उसे सृष्टि तुमसे मिल
तुम जिसे खुद से दूर करने की कोशिश करोगे उसे सृष्टि तुमसे मिल
Rashmi Ranjan
सच
सच
Neeraj Agarwal
फ़ितरत-ए-दिल की मेहरबानी है ।
फ़ितरत-ए-दिल की मेहरबानी है ।
Neelam Sharma
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
काली हवा ( ये दिल्ली है मेरे यार...)
काली हवा ( ये दिल्ली है मेरे यार...)
Manju Singh
💐प्रेम कौतुक-354💐
💐प्रेम कौतुक-354💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
■ सियासी ग़ज़ल
■ सियासी ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
Vishal babu (vishu)
Loading...