Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2020 · 1 min read

माँ मैं तेरी परछाईं हूँ।

बेटी….
माँ मैं तेरी परछाई हूँ,
फिर इस घर से क्यों मैं पराई हूँ।
अंश मैं तेरे शरीर की हूँ,
तेरी ममता की छांव में बड़ी हुई हूँ,
तूने नाम दिया मुझे, पहचान ये दी,
फिर क्यूँ कहते हैं लोग मुझे,
मैं इस घर में पराई अमानत हूँ।
कुछ दिन की मेहमान हूँ मैं यहाँ पर,
मुझे किसी और के घर फिर जाना है।।
माँ मैं तेरी परछाई हूँ,
फिर इस घर से क्यों मैं पराई हूँ,
इस घर में मेरा बचपन बीता,
तेरी अँगुली पकड़ कर चलना सीखा,
घर के हर कोने में मेरी यादें बसी,
फिर क्यों कहते है लोग मुझे,
मैं इस घर की चिड़िया हूँ,
पल भर का बसेरा है यहाँ पर,
मुझे कही और बसेरा बनाना है।
माँ मैं तेरी परछाई हूँ,
फिर इस घर से मैं क्यों पराई हूँ।।
By: Swati Gupta

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 480 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन दया का
जीवन दया का
Dr fauzia Naseem shad
हर पल ये जिंदगी भी कोई खास नहीं होती ।
हर पल ये जिंदगी भी कोई खास नहीं होती ।
Phool gufran
न किसी से कुछ कहूँ
न किसी से कुछ कहूँ
ruby kumari
जब कोई आपसे बहुत बोलने वाला व्यक्ति
जब कोई आपसे बहुत बोलने वाला व्यक्ति
पूर्वार्थ
वही पर्याप्त है
वही पर्याप्त है
Satish Srijan
संयुक्त परिवार
संयुक्त परिवार
विजय कुमार अग्रवाल
*अपनी-अपनी चमक दिखा कर, सबको ही गुम होना है (मुक्तक)*
*अपनी-अपनी चमक दिखा कर, सबको ही गुम होना है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
Bahut fark h,
Bahut fark h,
Sakshi Tripathi
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
Suryakant Dwivedi
जाने वाले का शुक्रिया, आने वाले को सलाम।
जाने वाले का शुक्रिया, आने वाले को सलाम।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कौन किसके बिन अधूरा है
कौन किसके बिन अधूरा है
Ram Krishan Rastogi
किंकर्तव्यविमूढ़
किंकर्तव्यविमूढ़
Shyam Sundar Subramanian
राम मंदिर
राम मंदिर
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
@ranjeetkrshukla
@ranjeetkrshukla
Ranjeet Kumar Shukla
चाँद सी चंचल चेहरा🙏
चाँद सी चंचल चेहरा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
"सुनहरा दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
उसकी ग़मी में यूँ निहाँ सबका मलाल था,
उसकी ग़मी में यूँ निहाँ सबका मलाल था,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
संवेदना
संवेदना
Shama Parveen
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
जब तक हो तन में प्राण
जब तक हो तन में प्राण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ना जाने क्यों आज वक्त ने हालात बदल
ना जाने क्यों आज वक्त ने हालात बदल
Vishal babu (vishu)
आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
🌷ज़िंदगी के रंग🌷
🌷ज़िंदगी के रंग🌷
पंकज कुमार कर्ण
2941.*पूर्णिका*
2941.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
है खबर यहीं के तेरा इंतजार है
है खबर यहीं के तेरा इंतजार है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
राजनीति
राजनीति
Bodhisatva kastooriya
We Would Be Connected Actually
We Would Be Connected Actually
Manisha Manjari
ऐसे दर्शन सदा मिले
ऐसे दर्शन सदा मिले
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
Loading...