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27 Apr 2022 · 1 min read

‘माँ मुझे बहुत याद आती हैं’

जब तरल सुबह, तपती बातें, मन उद्वेलित कर जाती हैं।
होठों पर स्मित सजल लिये, माँ मुझे बहुत याद आती हैं।।

पक्षी कलरव और पत्तों संग,
सड़कें सजती-सुसताती
हैं।
तब बांँट जोहती आँखो संग,
माँ मुझे बहुत याद आती
हैं।।

कोई शाख फलों का भार लिए, सर झुका नमन करती दिखती।
तब उचक देखती खिड़की से, माँ मुझे बहुत याद आती हैं।।

रिश्तों के कच्चे धागों संग,
बातें बदरंगी उलझ पड़ें।
तब अश्रु छिपातीं, मुस्कातीं,
माँ मुझे बहुत याद आती
है।।

थकता, बोझिल, हर भाव लगे, कदमों की जब रफ्तार रूके।
लादे अनुभव की गठरी सी, माँ मुझे बहुत याद आती हैं ।।

अब रच पाऊँगी सपन नहीं,
आँखें बोझल मुँद जाती हैं।
बाँहें फैलाये जीवन सी..
माँ मुझे बहुत याद आती हैं।।

स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 314 Views

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