माँ भारती वंदन
वंदन, वंदन, वंदन हे माँ भारती,
वंदन हे माँ भारती।
श्वास-श्वास न्यौछावर तुझपे,
रोम-रोम करे आरती।
वंदन, वंदन, वंदन हे माँ भारती।
वंदन हे माँ भारती!!!
शीश मुकुट हिमालय शोभित,
गोदी खेलें गंगा-जमुना,
लहराकर सागर की लहरें,
पल-पल चरण पखारतीं।
वंदन, वंदन, वंदन हे माँ भारती।
वंदन, ….!!!
कण-कण तेरी धरा का पावन,
खिलती धूप सुनहरी,
ऋतुएँ नित नये वेष ओढ़कर,
तेरा रूप निखारतीं।
वंदन, वंदन, वंदन हे माँ भारती।
वंदन, ….!!!
सुमनों की खुशबू मनभावन,
पंछी चहकें सुर में,
पवन झूमती आ बादल संग,
नजर तेरी उतारती।
वंदन, वंदन, वंदन हे माँ भारती।
वंदन, …..!!!
रचनाकार :- कंचन खन्ना, मुरादाबाद,
(उ०प्र०, भारत) ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार) ।
लेखन-दिनांक :- २२/०१/२०२३.