“माँ तु सर्वश्रेष्ठ”
तेरे सजल नैनो से, झलकती सदा प्रीत है।
हरपल लाड़-दुलार, तेरे आँचल की रीत है।।
तेरी काया मे रह,जन्म तुमसे ही पाया है।
तु ममता की मुरत, तेरा आँचल मेरा साया है।।
चलना, बढ़ना,सीखा, ज्ञान तुमहिं से पाया है।
दुख-दर्द बिसरा अपने,हमको शिखर पहुंचाया है।।
जब भी मै मायुस हुई , हौसला मेरा बढ़ाया है।
मेरे माथे की शिकन को,पल मे दुर भगाया है।।
मेरे जीवन का पल-पल , मां तेरा कर्जदार है।
बुना भविष्य सुनहरा, मुझ पर ये उपकार है।।
मेरी रचना का मां, तु ही एक आधार है।
क्या रचना करु मै तेरी, तु श्रेष्ठ रचनाकार है।।